Devotional Hymns - Miscellaneous

।।श्रीः।।

।।यमुनाष्टकम्।।

मुरारिकायकालिमाललामवारिधारिणी

तृणीकृतत्रिविष्टपा त्रिलोकशोकहारिणी।

मनोनुकूलकूलकुञ्जपुञ्जधूतदुर्मदा
धुनोतु नो मनोमलं कलिन्दनन्दिनी सदा।।1।।

मलापहारिवारिपूरिभूरिमण्डितामृता

भृशं प्रवातकप्रपञ्चनातिपण्डितानिशा।

सुनन्दनन्दिनाङ्गसङ्गरागरञ्जिता हिता
धुनोतु नो मनोमलं कलिन्दनन्दिनी सदा।।2।।

लसत्तरङ्गसङ्गधूतभूतजातपातका

नवीनमाधुरीधुरीणभक्ितजातचातका।

तटान्तवासदासहंससंवृताह्निकामदा
धुनोतु नो मनोमलं कलिन्दनन्दिनी सदा।।3।।

विहाररासखेदभेदधीरतीरमारुता

गता गिरामगोचरे यदीयनीरचारुता।

प्रवाहसाहचर्यपूतमेदिनीनदीनदा
धुनोतु नो मनोमलं कलिन्दनन्दिनी सदा।।4।।

तरङ्गसङ्गसैकतान्तरातितं सदासिता

शरन्निशाकरांशुमञ्जुमञ्जरी सभाजिता।

भवार्चनाप्रचारुणाम्बुनाधुना विशारदा
धुनोतु नो मनोमलं कलिन्दनन्दिनी सदा।।5।।

जलान्तकेलिकारिचारुराधिकाङ्गरागिणी

स्वभर्तुरन्यदुर्लभाङ्गताङ्गतांशभागिनी।

स्वदत्तसुप्तसप्तसिन्धुभेदिनातिकोविदा
धुनोतु नो मनोमलं कलिन्दनन्दिनी सदा।।6।।

जलच्युताच्युताङ्गरागलम्पटालिशालिनी

विलोलराधिकाकचान्तचम्पकालिमालिनी।

सदावगाहनावतीर्णभर्तृभृत्यनारदा
धुनोतु नो मनोमलं कलिन्दनन्दिनी सदा।।7।।

सदैव नन्दिनन्दकेलिशालिकुञ्जमञ्जुला

तटोत्थफुल्लमल्लिकाकदम्बरेणुसूज्ज्वला।

जलावगाहिनां नृणां भवाब्धिसिन्धुपारदा
धुनोतु नो मनोमलं कलिन्दनन्दिनी सदा।।8।।


इति श्रीमत्परमहंसपरिव्राजकाचार्यस्य

श्रीगोविन्दभगवत्पूज्यपादशिष्यस्य

श्रीमच्छंकरभगवतः कृतौ

यमुनाष्टकं संपूर्णम्।।