Preliminary Texts
।।श्रीः।। |
आदौ विजित्य विषयान्मदमोहराग |
त्यक्त्वा गृहे रतिमधोगतिहेतुभूता |
त्यक्त्वा ममाहमिति बन्धकरे पदे द्वे |
त्यक्त्वैषणात्रयमवेक्षितमोक्षमार्गा |
नासन्न सन्न सदसन्न महन्न चाणु |
अज्ञानपङ्कपरिमग्नमपेतसारं |
शान्तैरनन्यमतिभिर्मधुरस्वभावै |